ग्राम समाचार, भागलपुर। आखिरकार कलमकार प्रसून लतांत की सोच,हमारा संघर्ष और लखन लाल पाठक का प्रयास ने ऐसा रंग लाया कि अंग-अंगिका के सवाल पर एकजुटता का मिशाल कायम कर अंगिका प्रॆमियों ने 23 फरवरी को अंग महाजनपद के इतिहास में अंकित कर दिया। जब न कोई सरकारी आदेश, न कोई दल-पार्टी प्रमुख का निर्देश, सिर्फ अंग की अस्मिता और अस्तित्व के लिए सिर्फ अनुरोध को मानकर भागलपुर के स्थानीय सैंडिस कम्पाउन्ड में अंगिका मानव श्रृंखला में शामिल होने हेतु हरेक राजनीतिक पार्टी व दल के साथ-साथ सामाजिक, साहित्यिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, व्यवसायिक, आध्यात्मिक, शांति प्रहरी, चिकित्सक, अधिवक्ता, छात्र- छात्रा एवं युवा संगठनों ने न केवल हांमी भरी, बल्कि इस अंगिका मानव श्रृंखला में शामिल होकर एक इतिहास रच दिया। उक्त बातें अंग उत्थान आंदोलन समिति, बिहार-झारखंड के अध्यक्ष सह अंग प्रदेश अंगिका महासभा के संयोजक गौतम सुमन ने मंगलवार को कचहरी परिसर में अधिवक्ता सी.के.घोष की अध्यक्षता में हुई आभार बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यूं तो इस अंगिका मानव श्रृंखला को सफल बनाने में कवि-साहित्यकारों ने भी कोई कसर नहीं छोडी़ पर इसे ऐतिहासिक बनाने में समर्पण भाव से जिस तरह मीडियाकर्मियों की महत्ती भुमिका को भुलाया नहीं जा सकता है और जो उनके अभिभावक लखनलाल पाठक, जदयू नेता पप्पु सिंह, कोंग्रेस के डॉ.शंभू दयाल खेतान, संजय सिन्हा, प्रॊ.देवज्योति मुखर्जी, आरटीआई कार्यकर्ता अजीत सिंह, ओम भास्कर, मृत्युंजय सिन्हा, कुमकुम द्वेदी, पुतुल पांडेय आदि ने भी जो अपनी भूमिका निभाई, वह काफी सराहनीय और प्रशंसनीय रही। वहीं त्रिलोकीनाथ दिवाकर ने अंगिका भाषा के नाम पर इतिहास में पहली बार बनी इस मानव श्रृंखला में मुख्य रुप से अंग महाजनपद के सभी वर्गों के सहयोग और समर्थन के लिए सबों का आभार प्रकट किया और कहा कि हमारी यही एकजुटता अंग-अंगिका को कामयाबी दिलाएगी। मौके पर मौजूद दिनेश बाबा तपन ने कहा कि एकजुटता कामयाबी का मूलमंत्र है और इस मानव श्रृंखला के बहाने इस मूल मंत्र का अंगिकाप्रॆमियों ने शंखनाद कर दिया है। अपने अध्यक्षीय उदगार में वरीय अधिवक्ता डॉ. सी.के.घोष ने कहा कि संगठन से ही विजय हासिल होती है और दशकों से अंगिका के विकास व उत्थान के लिए कई संगठनों के द्वारा महत्वपूर्ण प्रयास किए जाते रहे हैं, उसमें खासकर उन लेखकों- कवि,साहित्यकारों की महत्ती भूमिका रही है,जिन्होंने अंगिका साहित्य का भंडार भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन एक राजनीतिक लड़ाई अभी शेष है, क्योंकि आठवीं अनुसूची में पांच करोड़ लोगों की भाषा अंगिका का शामिल होना एक महत्वपूर्ण काम है।इसी की जागरूकता के लिए विगत 23 फरवरी को अति सफल अंगिका मानव श्रृंखला, जिसमें सभी तरह के संगठनों का पुरजोर सहयोग मिला और पता भी चला कि वे अपनी लोकभाषा के प्रति कितने सजग और जागरूक हैं।मौके पर मौजूद प्रीतम विश्वकर्मा ने कहा कि इतिहास गवाह है कि एकजुटता से बड़े से बडा़ जंग जीता जा सकता है। वहीं सुबोध मंडल ने एकजुटता को बरकरार रखने पर बल दिया और कहा कि इस मानव श्रृंखला की गूंज दूर तक पहूंच चुकी है। इस मौके पर प्रकाश पासवान, अरूण कु.मिश्रा,सैयद सलीम अहमद,मुरारी प्रसाद यादव आदि उपस्थित थे।
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Bhagalpur News:अंगिका मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए लोगों के प्रति अंगिका प्रेमियों ने प्रकट किया आभार
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