Bounsi News: लखदीपा मंदिर में नगर वासियों से अपने घर से एक दीपक लाकर मंदिर प्रांगण में जलने की की गई अपील

ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। बौंसी प्रखंड के मंदार पर्वत की तलहटी स्थित वालिसा नगरी के लोग माता लक्ष्मी की आराधना के लिए अपने अपने घरों में घी के दीये लाकर मंदिर की सैकड़ों दीवारों पर उन्हें सजाते थे। उस दिन वहां गुलाब की पंखुरियों से भरी थालियों के बीच दीपक सजाकर नृत्यांगनाएं अलौकिक नृत्य भी करती थीं। इससे दीपावली के दिन वहां की अद्भुत छटा दिखती थी। जी हां हम बात कर रहे हैं ऐतिहासिक मंदार पर्वत की तराई अवस्थित करीब 600 साल प्राचीन लखदीपा मंदिर के बारे में। इतिहासकारों के अनुसार सन् 1505 में गौरांग चैतन्य महाप्रभु गया यात्रा के दौरान यहां तीन दिन रुके थे। उसके प्रमाण स्वरूप उनकी चरण पादुका युक्त शिलालेख आज भी यहां विद्यमान है। लेकिन कालांतर में बंगाल पर अधिकार हो जाने के बाद अफगानी आतातायी राजा काला पहाड़ ने सन् 1600 के आसपास बौंसी के मंदार पर्वत व उसकी तलहटी स्थित अधिकांश मंदिरों को तहस-नहस कर दिया। उसी के साथ लखदीपा मंदिर की यह गौरवाशली परिपाटी खत्म हो गई थी। लेकिन आज भी उसकी सैकड़ों दीवारों के भग्नावशेष उसकी याद संजोए हुई हैं। 15 वर्ष पूर्व झांडियों में छिपे लखदीपा मंदिर के 




अवशेषों को सामने लाया गया। तब से टाइगर क्लब, विश्व हिंदू परिषद के राजाराम अग्रवाल आदि ने दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा फिर से शुरू की है। इसी कड़ी में समाजसेवी राजाराम अग्रवाल एवं उनके सहयोगियों के द्वारा मंगलवार को लखदीपा मंदिर की साफ सफाई की गई। लखदीपा मंदिर जाने के रास्ते में उगे हुए घासों को हटाकर रास्ता बनाया गया। ताकि आगामी 11 नवंबर 2023 की संध्या 4:00 बजे वहां पर दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जा सके। कार्यक्रम को लेकर बौंसी के जनता से अपील की गई है की, नगर वासी अपने घरों से एक-एक दिया लेकर लखदीपा मंदिर पहुंचे और मंदिर के प्रांगण में जलाएं। मालूम हो कि, पिछले वर्ष भागलपुर के डीआइजी विकास वैभव ने साहित्य सेवियों के साथ मंदार पहुंचकर यहां दीपमालाएं सजाई थी। पर्यटन विभाग ने भी इस मंदिर के जीर्णोद्धार की बात कही थी। लेकिन अबतक उसपर अमल शुरू नहीं हो पाया है। स्थानीय लोगों को कहना है कि उसका जीर्णोद्धार कर हम इस क्षेत्र की गौरव गाथा को सहेज कर रख सकते हैं। पूर्व जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने कहा था कि, मंदार सहित अन्य धरोहरों का विकास पर्यटन विभाग द्वारा किया जा रहा है। लखदीपा मंदिर के विकास पर भी विभाग की नजर है। परंतु आज तक लाख दीपा मंदिर का विकास आधार में लटका हुआ है। स्थानीय लोगों को अब आशा है कि वर्तमान जिलाधिकारी अंशुल कुमार इस दिशा में कुछ कार्य करेंगे।

रौशन कुमार,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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