Editorial : कृषि को समृद्ध बनाने से ही सही रूप में भारत समृद्ध होगा - राजीव


भारत एक कृषि प्रधान देश है। 31 जनवरी 2023 को केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री  निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23  पेश किया, जिसके अनुसार,  देश की 65 प्रतिशत आबादी (2021 डेटा के अनुसार) ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और 47 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है, जो उनके  आर्थिक विकास का एक मात्र माध्यम है।

देश के  विभिन्न क्षेत्रों में विकास और समृद्धि की दिशा में अग्रणी बनने के बावजूद, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी आर्थिक सशक्ति की नींव कृषि पर आधारित है। इसके बिना, हमारा विकसित समृद्ध और भारत का सपना  सफल नहीं हो सकता।

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल  शक्ति है, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास का माध्यम बनती है। हमारी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है, और लाखों परिवारों की आर्थिक दृढ़ता कृषि से जुड़ी हुई है। इसके अलावा, कृषि हमारी खाद्य सुरक्षा की मुख्य स्रोत है, और अनेकों अन्य उत्पादों का भी केद्र भूमि बनती है। 

सरकार भले ही खेती से किसानों की आय दोगुणी होने का दावा करती हो, मगर हकिकत यह है कि आम किसान अपनी खेती की पूरानी परापरागत तरीकों से साथ  आज भी फटेहाली का जीवन जीने को मजबूर है। 

आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके हम उत्पादकता में वृद्धि कर सकते हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। सुरक्षित और सही उपायोग के साथ, खेती में नए और आधुनिक तरीकों की अपनाने से हम कम जमीन पर भी अधिक उत्पादन कर सकते हैं। 

इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन के साथ मुकाबला करने के लिए उन फसलों का चयन करना चाहिए जो इस परिवर्तन के प्रभावों के साथ समर्थ हों।

कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले किसान अपने कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हैं। कम आय, मार्जिनल ज़मीन, पुरानी तकनीकों का उपयोग, और बेहद कम बाजार मूल्य की समस्याएं उनके सामने उत्पन्न होती हैं।

 किसानों को बारिश की अनिश्चितता, उत्पादों की पोस्ट-हार्वेस्ट हानियाँ, और कर्ज की भारी बोझ से भी जूझना पड़ता है।

सरकार भले ही खेती से किसानों की आय दोगुणी होने का दावा करती हो, मगर हकिकत यह है कि आम किसान अपनी खेती की पूरानी परापरागत तरीकों से साथ  आज भी फटेहाली का जीवन जीने को मजबूर है। 

कृषि के क्षेत्र में समृद्धि प्राप्त करने  के लिए हमें किसान समर्पित नीतियों की आवश्यकता है, जो किसानों की समस्याओं को समझते हुए उनकी सहायता कर सकें। 

किसानों को आधुनिक तकनीकों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करने, उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करने, और उन्हें पर्याप्त स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए  सरकार को  स्पष्ट नीति बनाकर सही नियत और दृढ़ता से लागू  करना होगा।

कृषि क्षेत्र में अधिकारीक  बदलाव को उत्तरदायित्वपूर्ण तरीके से संचालित करने के लिए नीतियों की आवश्यकता है। किसानों को नवाचारिक तकनीकों का उपयोग करने में सहायता प्रदान करने के लिए उन्हें  कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ मिलकर काम करने का अवसर देना चाहिए। साथ ही, कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में नवाचार और नए जानकारियों का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि किसान आधुनिक तकनीकों का सही ढंग से उपयोग कर सकें।

कृषि के बिना, भारत की समृद्धि सिर्फ एक अधूरी कहानी हो सकती है। खेती से जुड़े हर किसान की मेहनत, संघर्ष और योगदान को महत्वपूर्ण बनाने के लिए हमें उनकी समस्याओं को समझना और उनके साथ मिलकर समाधान निकालने की दिशा में कदम बढ़ाना आवश्यक है। उच्च उत्पादनता, आधुनिक तकनीक, और सही नीतियों का अवलंब करके हम कृषि को समृद्ध बना सकते हैं, जिससे हमारा देश वास्तविक एवं सशक्त समृद्धि प्राप्त कर सकता है।

- राजीव कुमार

(प्रधान संपादक, ग्राम समाचार)

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