Pathargana News: ज्ञान और वैराग्य के बिना भक्ति अधूरी रहती है- आचार्य पवन जी महाराज




ग्राम समाचार, पथरगामा ब्यूरो रिपोर्ट:- प्रखंड मुख्यालय के मध्य जनकल्याण चैती दुर्गा पूजा समिति के तत्वाधान में सिद्ध पीठ मां चिहारी देवी के पवित्र प्रांगण में संगीत में श्री रामकथा का प्रवाह विगत पांच दिनों से हो रहा है | कथा के पांचवें दिन आचार्य पवन जी महाराज ने बताया कि विश्वामित्र जैसे महामुनी जब यज्ञ करते थे तो उस यज्ञ में विघ्न उत्पन्न हो जाता था | विघ्न उत्पन्न करने वाले मारीच और सुबाहु नाम के दो राक्षस थे| विश्वामित्र साधक थे और साधक जब साधना के पथ पर चलता है तो अनेक प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती हैं| ज्ञान और वैराग्य का आश्रय नहीं ग्रहण करता है तो उसकी साधना अधूरी रह जाती है| लेकिन जैसे ही वह ज्ञान वैराग्य का अनुसरण करता है तो उसे भक्ति तुरंत प्राप्त होती है| वे तब प्राप्त होती है जब राम रूपी ज्ञान और लक्ष्मण रूपी वैराग्य साधक के जीवन में आते हैं|

साधना के पथ पर बढ़ते हुए जब वह ज्ञान और वैराग्य के साथ भक्ति की प्राप्ति के लिए पथ में बढ़ता है तो उसे ताड़का रूपी अज्ञान का सामना करना पड़ता है| जिसे वह ज्ञान के माध्यम से अपने मार्ग से हटा देता है| ज्ञान और वैराग्य के साथ जब साधना की जाती है तो वह साधना सिद्ध हो जाती है| आचार्य जी ने रामकथा का विस्तार से वर्णन करते हुए पुष्प वाटिका जनकपुर का वर्णन, फुलवारी की कथा, भगवान राम और माता सीता की पहली मुलाकात, जनक जी की प्रतिज्ञा, देश देशांतर से आए हुए राजाओं के द्वारा धनुष तोड़ने की कोशिश, जनक जी के द्वारा सबको कटु शब्दों का प्रयोग करना, परमात्मा को कोसना, लक्ष्मण जनक का संवाद और उसके बाद भगवान श्री राम के द्वारा धनुष को तोड़कर माता सीता के द्वारा वर्णमाला माला पहनाए जाने आदि की कथा को विस्तार से भक्तों को सुनाया | समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार महतो ने तमाम श्रोताओं से निवेदन किया है कि अधिक से अधिक संख्या में माताएं बहने यहां पधार कर माता रानी का पूजन और राम कथा का श्रवण कर पुण्य के भागी बने|

अमन राज, संवाददाता पथरगामा:-

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