Godda News: चल रहा है तीन दिवसीय गाय पालन का प्रशिक्षण


ग्राम समाचार गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केन्द्र, गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक-युवतियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ| यह प्रशिक्षण भारत सरकार के पशुपालन,मत्स्य एवं गव्य विभाग तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा निर्देशित प्रशिक्षण कार्यक्रम है| प्रशिक्षण का विषय "गाय पालन" है| वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने कहा कि दुधारू पशु होने के कारण गाय बहुत उपयोगी घरेलू पशु है| गाय पालन ,दूध उत्पादन व्यवसाय या डेयरी फार्मिंग छोटे व बड़े स्तर (दोनों) पर सबसे ज्यादा विस्तार में फैला हुआ व्यवसाय है| गाय पालन व्यवसायिक या छोटे स्तर पर दूध उत्पादन किसानों की कुल दूध उत्पादन में मदद करता है और उनकी आर्थिक वृद्धि को बढ़ाता है| पशु पालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने बताया कि हमारे देश में गोवंश की 37 पंजीकृत नस्लें हैं| इन नस्लों को उनकी उपयोगिता के आधार पर दुधारू,द्विकाजी और भारवाहक श्रेणी में बांटा गया है| दुधारू नस्लों में मुख्य रुप से साहीवाल, गिर, देवनी तथा रेड सिंधी नस्लें हैं| द्विकाजी श्रेणी में हरियाणा, कांकरेज, थारपारकर, अंगोल, राठी, मेवाती व डांगी आदि मुख्य है| हरियाणा नस्ल की गाय औसत दूध उत्पादन तथा इनके बैल खेतों में हल चलाने में बहुत उपयोगी हैं| भारवाहक या खेती कार्य श्रेणी में नागौरी, हल्लीकर, खिलारी, अमृत महल, कांगयाम, आदि प्रमुख नस्लें हैं| सबसे अधिक साहीवाल नस्ल की गायों का औसत दूध उत्पादन प्रति ब्यांत 2250 किग्रा होता है| गायों के रहने का स्थान साफ-सुथरा होना चाहिए| ठंड से बचाने के लिए गाय, बैल, बछड़े, बछियों को टाट के बोरा से ओढ़ा कर रखना चाहिए| गाय, बैल, बछड़े, बछियों को खाने के लिए भूसा, चूनी, चोकर, हरा चारा तथा पीने के लिए स्वच्छ पानी देना चाहिए| गाय, बैल, बछड़े, बछियों को समय पर टीके लगवाने चाहिए| अर्चना देवी, रीता देवी, विनीता देवी, रंजना देवी, रीतु कुमारी, संजीव सिंह, रामकिशोर झा, शिव लाल सोरेन, छोटू कुमार माँझी, राम चन्द्र मंडल समेत 40 युवक- युवतिययां प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए|

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Editor - भूपेन्द्र कुमार चौबे

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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