ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र,गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक/युवतियों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का विषय "ट्राइकोडर्मा आधारित खाद उत्पादन" है। पौधा सुरक्षा वैज्ञानिक डाॅ0 सूर्यभूषण ने बताया कि खाद उत्पादन हेतु ट्राइकोडर्मा एक लाभकारी फफूंद है। इसकी दो प्रजाति ट्राइकोडर्मा विरिडी एवं ट्राइकोडर्मा हरजेनियम जैविक फफूंद नाशक के रूप में प्रयोग की जाती है। इसकी संख्या उन खेतों में अधिक होती है जिसमें जीवांश ज्यादा होता है तथा खेत अधिक दिनों तक पानी में डूबा न हो। विभिन्न फसलों जैसे बैंगन, टमाटर, मिर्च, अरहर, चना, मसूर आदि में मुरझा रोग गोड्डा जिले की एक गंभीर समस्या है। किसान भाई फसलों की मुरझा बीमारी की वजह से परेशान हैं तथा कुछ किसान बैंगन की खेती से विमुख होते जा रहे हैं। इसके समाधान के लिए बीज उपचार, प्रतिरोधी किस्म का चयन, अम्लीय भूमि में चूना का प्रयोग तथा ट्राइकोडर्मा युक्त सड़ी खाद(कम्पोस्ट) का उपयोग किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा एक लाभदायक फफूंद है जो जमीन में पाया जाता है लेकिन रासायनिक कीटनाशी/फफूंदनाशी के प्रयोग से ट्राइकोडर्मा की संख्या घट गई है। इस वजह से ट्राइकोडर्मा हानिकारक फफूंद को रोकने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। ट्राइकोडर्मा की संख्या को बढ़ाने के लिए गोबर की सड़ी खाद में ट्राइकोडर्मा को मिलाकर खेत में डालना चाहिए। सभी ग्रामीण युवक/युवतियों को "ट्राइकोडर्मा-एक लाभदायक फफूंद " विषयक लीफलेट वितरित किया गया। संग्राम किस्कू, जतन मरांडी, साहेबराम किस्कू, सोनली मुर्मू, बिटी मुर्मू, शांति सोरेन, सविता टुडू, पार्वती सोरेन, समेत 25 ग्रामीण युवक/युवतियाँ प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
Godda News: खाद उत्पादन हेतु ट्राइकोडर्मा एक लाभकारी फफूंद है- डॉ सूर्य भूषण
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र,गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक/युवतियों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का विषय "ट्राइकोडर्मा आधारित खाद उत्पादन" है। पौधा सुरक्षा वैज्ञानिक डाॅ0 सूर्यभूषण ने बताया कि खाद उत्पादन हेतु ट्राइकोडर्मा एक लाभकारी फफूंद है। इसकी दो प्रजाति ट्राइकोडर्मा विरिडी एवं ट्राइकोडर्मा हरजेनियम जैविक फफूंद नाशक के रूप में प्रयोग की जाती है। इसकी संख्या उन खेतों में अधिक होती है जिसमें जीवांश ज्यादा होता है तथा खेत अधिक दिनों तक पानी में डूबा न हो। विभिन्न फसलों जैसे बैंगन, टमाटर, मिर्च, अरहर, चना, मसूर आदि में मुरझा रोग गोड्डा जिले की एक गंभीर समस्या है। किसान भाई फसलों की मुरझा बीमारी की वजह से परेशान हैं तथा कुछ किसान बैंगन की खेती से विमुख होते जा रहे हैं। इसके समाधान के लिए बीज उपचार, प्रतिरोधी किस्म का चयन, अम्लीय भूमि में चूना का प्रयोग तथा ट्राइकोडर्मा युक्त सड़ी खाद(कम्पोस्ट) का उपयोग किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा एक लाभदायक फफूंद है जो जमीन में पाया जाता है लेकिन रासायनिक कीटनाशी/फफूंदनाशी के प्रयोग से ट्राइकोडर्मा की संख्या घट गई है। इस वजह से ट्राइकोडर्मा हानिकारक फफूंद को रोकने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। ट्राइकोडर्मा की संख्या को बढ़ाने के लिए गोबर की सड़ी खाद में ट्राइकोडर्मा को मिलाकर खेत में डालना चाहिए। सभी ग्रामीण युवक/युवतियों को "ट्राइकोडर्मा-एक लाभदायक फफूंद " विषयक लीफलेट वितरित किया गया। संग्राम किस्कू, जतन मरांडी, साहेबराम किस्कू, सोनली मुर्मू, बिटी मुर्मू, शांति सोरेन, सविता टुडू, पार्वती सोरेन, समेत 25 ग्रामीण युवक/युवतियाँ प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
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