ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा में निकरा परियोजना के अन्तर्गत पोड़ैयाहाट प्रखंड के निकरा ग्राम गुणघासा के प्रगतिशील महिला किसानों को मूंगफली की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने बताया कि मूंगफली की यह गुच्छेदार किस्म है। गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट प्रखंड में ऊपरी एवं बलुवर भूमि मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त है। मूंगफली की खेती के लिये अच्छे जल निकास वाली, भुरभुरी दोमट व बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है। मिट्टी पलटने वाले हल तथा बाद में कल्टीवेटर से दो जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए। मूंगफली की बुवाई प्रायः मानसून शुरू होने के साथ ही हो जाती है। उत्तर भारत में यह समय सामान्य रूप से 15 जून से 15 जुलाई के मध्य का होता है। सस्य वैज्ञानिक डाॅ. अमितेश कुमार सिंह ने कहा कि मूंगफली की फसल की वृद्धि एवं विकास के लिए 30-35 डिग्री से.ग्रे. तापमान की आवश्यकता होती है। मूंगफली के बीज को 2 ग्राम बाविस्टीन से प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोएं। निकरा गांव गुणघासा में फसल प्रणाली के तहत ऊपरी जमीन में खरीफ मौसम में मूंगफली की खेती तथा रबी मौसम में निचली भूमि पर गेंहूँ की फसल आसानी से ली जा सकती है, जिससेे कि किसानों को अधिक फसल लेने से फसल का उत्पादन बढ़ जाता है। मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 को कतार से कतार में लगाने की दूरी 30-45 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी होती है। यह किस्म 100-105 दिन में पक कर तैयार होती है तथा उपज 18-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। प्रगतिशील महिला किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ.हेमन्त कुमार चौरसिया, डाॅ.रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, पेत्रिशिया हाँसदा, छीता टुडू, जोबा हांसदा, सबिना मरांडी, लतिशिया किस्कू आदि प्रगतिशील महिला किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुईं।
Godda News: महिला किसानों को मूंगफली की खेती का प्रशिक्षण दिया गया
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा में निकरा परियोजना के अन्तर्गत पोड़ैयाहाट प्रखंड के निकरा ग्राम गुणघासा के प्रगतिशील महिला किसानों को मूंगफली की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने बताया कि मूंगफली की यह गुच्छेदार किस्म है। गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट प्रखंड में ऊपरी एवं बलुवर भूमि मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त है। मूंगफली की खेती के लिये अच्छे जल निकास वाली, भुरभुरी दोमट व बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है। मिट्टी पलटने वाले हल तथा बाद में कल्टीवेटर से दो जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए। मूंगफली की बुवाई प्रायः मानसून शुरू होने के साथ ही हो जाती है। उत्तर भारत में यह समय सामान्य रूप से 15 जून से 15 जुलाई के मध्य का होता है। सस्य वैज्ञानिक डाॅ. अमितेश कुमार सिंह ने कहा कि मूंगफली की फसल की वृद्धि एवं विकास के लिए 30-35 डिग्री से.ग्रे. तापमान की आवश्यकता होती है। मूंगफली के बीज को 2 ग्राम बाविस्टीन से प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोएं। निकरा गांव गुणघासा में फसल प्रणाली के तहत ऊपरी जमीन में खरीफ मौसम में मूंगफली की खेती तथा रबी मौसम में निचली भूमि पर गेंहूँ की फसल आसानी से ली जा सकती है, जिससेे कि किसानों को अधिक फसल लेने से फसल का उत्पादन बढ़ जाता है। मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 को कतार से कतार में लगाने की दूरी 30-45 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी होती है। यह किस्म 100-105 दिन में पक कर तैयार होती है तथा उपज 18-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। प्रगतिशील महिला किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ.हेमन्त कुमार चौरसिया, डाॅ.रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, पेत्रिशिया हाँसदा, छीता टुडू, जोबा हांसदा, सबिना मरांडी, लतिशिया किस्कू आदि प्रगतिशील महिला किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुईं।
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