Bhagalpur News:टीएमबीयू की कुलपति ने चार पीजी विभागों के विभागाध्यक्षों और शिक्षकों के साथ ऑनलाइन बैठक कर शैक्षणिक और रिसर्च गतिविधियों की ली जानकारी


ग्राम समाचार, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने शुक्रवार को चार पीजी विभागों के विभागाध्यक्षों और शिक्षकों के साथ ऑनलाइन बैठक कर शैक्षणिक और रिसर्च गतिविधियों की जानकारी ली। कुलपति ने वर्चुअल मोड में बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शिक्षक पठन-पाठन के साथ-साथ लेखन कार्यों में भी खुद को संलग्न रखें। उन्होंने कहा कि यह जानकर काफी अच्छा लगा कि यहां के कई शिक्षकों ने किताबों को लिखा है। उनकी किताबें प्रकाशित हो रही है। यहां के शिक्षकों के द्वारा लिखी गई पुस्तकों के व्यापक प्रचार प्रसार की जिम्मेवारी यूनिवर्सिटी की है। विश्वविद्यालय वैसे शिक्षकों की प्रकाशित पुस्तकों को लाइब्रेरी में डिस्प्ले बोर्ड पर रखेगा। ताकि अन्य शिक्षक और छात्र लाभान्वित हो सके।  किताबों का सर्कुलेशन ज्यादा होता है। इसलिए किताबें लिखें और उसे अच्छे प्रकाशक से प्रकाशित कराएं। शिक्षक अपनी लिखी पुस्तकों की जानकारी विश्वविद्यालय को भी दें। विश्वविद्यालय स्तर पर उसका लोकार्पण कराया जाएगा। इसकी जिम्मेवारी विश्वविद्यालय लेगी। कुलपति ने कहा कि कोविड के चलते लोगों की परेशानी जरूर बढ़ी है लेकिन जिंदगी की रफ्तार नहीं रुकी है। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग की जानकारी वहां के हेड से ली। संस्कृत की हेड प्रो. सुलेखा कुमारी ने विस्तार से विभाग की शैक्षणिक गतिविधियों और वहां की समस्याओं की जानकारी कुलपति को दी। वीसी ने कहा कि संस्कृत हमारे देश की मूल भाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी है। इस भाषा का ग्लोबल स्टेटस है। परंपरागत रूप से संस्कृत काफी समृद्ध भाषा है। इसमें काफी स्कोप हैं। देशभर में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अलग कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज भी हैं। देश के अच्छे विश्वविद्यालयों से इस विभाग का एमओयू और कॉलोबोरेशन कराने की दिशा में पहल करें। उन्होंने विभाग का पचास साल पूरे होने पर प्रसन्नता जताते हुए विभाग को इस अवसर को सेलिब्रेट करने को कहा। उन्होंने कहा कि इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दें। कुलपति ने कहा कि विभाग में छात्रों की संख्या को बढ़ाएं। बच्चों को प्रेरित करें। उनमें इस विषय के प्रति रुचि जगाएं। उन्होंने विभाग के हेड से टीचिंग, रिसर्च आदि की जानकारी ली। विभाग के सभी शिक्षकों की बारी-बारी से एकेडमिक प्रोफाइल की जानकारी भी ली। शिक्षकों से कहा कि वे अपने अंदर के टैलेंट को निखारें। अवसर की कोई कमी नहीं है। अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करें। शिक्षकों के टैलेंट से ही यूनिवर्सिटी की भी पहचान होती है। टीएमबीयू काफी अव्वल विश्वविद्यालयों में से एक है। यहाँ के शिक्षक काफी मेधावी और लगनशील हैं। पीजी मैथली विभाग के हेड डॉ शिव प्रसाद यादव ने विभाग की एकेडमिक गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने विभाग की समस्याओं से भी वीसी को अवगत कराया। उन्होंने कुलपति को बताया कि विभाग में शिक्षकों के कोई भी पद सृजित नहीं है। कई बार विश्वविद्यालय के माध्यम से सरकार को इस बाबत पत्र भी भेजा जा चुका है। लेकिन अबतक नतीजा सिफर ही रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग से शोधार्थी नामक रिसर्च पत्रिका का भी प्रकाशन पहले होता था। कतिपय कारणों से यह बंद पड़ा हुआ है। सबौर कॉलेज में मैथिली में शिक्षकों के तीन पद स्वीकृत हैं। लेकिन वर्तमान में वहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। उन्होंने फिलहाल सबौर कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी की मांग की। डॉ शिव प्रसाद यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में वर्षों से से डीलिट् की उपाधि बंद पड़ी हुई है। इससे डिलीट करने को इच्छुक लोगों को दिक्कतें हो रही है। डॉ प्रमोद पाण्डेय ने कहा कि टीएमबीयू में भाषा विज्ञान का एक सेंटर खुलना चाहिए। तत्काल डिप्लोमा कोर्स से भी इसे शुरू किया जा सकता है। कुलपति प्रो. गुप्ता ने कहा कि विभाग की समस्याएं दूर की जाएगी। प्रोपोजल बनाकर दें। वीसी ने जिन-जिन कॉलेगों में मैथिली की पढ़ाई होती है उसके बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि मैथिली काफी पॉपुलर भाषा है। विभाग में शिक्षकों के पद सृजन के लिए विश्वविद्यालय स्तर से सरकार स्तर तक पहल की जाएगी। विभाग की पत्रिका को फिर से शुरू करने को कहा गया। कुलपति ने विभाग में छात्रों की संख्या को बढ़ाने को कहा। कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी लैंग्वेज की पढ़ाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय में फिर से डिलीट शुरू करने के लिए राजभवन को पत्र लिखा जाएगा। मैथिली विभाग के प्रो. केषकर ठाकुर, डॉ प्रमोद पाण्डेय आदि ने भी अपने विचार रखे। स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग के हेड प्रो. आरआर तिवारी ने विभाग की गतिविधियों से कुलपति को अवगत कराया। कहा कि समय-समय पर विभाग में व्याख्यान माला, सेमिनार, वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस आदि का आयोजन किया जाता रहा है। डिपार्टमेंट के बिल्डिंग की हालत काफी खराब हो चुकी है। बिल्डिंग का बाहरी हिस्सा जर्जर अवस्था में है। इसके जीर्णोद्धार की जरूरत है। विभाग में लाइब्रेरियन नहीं है। डिपार्टमेंट में वाई-फाई तो है लेकिन कनेक्शन काफी पुअर रहता है। बिजली जाने के बाद सिंग्नल काफी कमजोर हो जाता है। जिससे दिक्कतें आ रही है। फिलॉसफी विभाग के शिक्षक प्रो. नीलिमा कुमारी, प्रो. मृत्युंजय कुमार, प्रो. पूर्णेन्दु शेखर आदि ने भी अपने एकेडमिक परफॉर्मेंस की जानकारी दी। विभागाध्यक्ष ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने विचार रखे। पीजी उर्दू विभाग के हेड डॉ जयाउल इस्लाम रिजवी ने विभाग की समस्याओं से कुलपति को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विभाग में क्लास रूम की कमी है। स्वीपर नहीं है। कुलपति ने कहा कि मैं खुद उर्दू विभाग आऊँगी। समस्याएं जल्द दूर होंगी। उन्होंने कहा कि उर्दू काफी मीठी जुबान है। इसे आगे बढ़ाएं। रिसर्च में भी बेहतर करें। विश्वविद्यालय का नाम रोशन होगा। प्रो. एसजेड खानम ने कहा कि विभाग को मिलने वाला कंटीजेंसी की राशि काफी कम होती है। इससे विभाग को चलाने में दिक्कतें होती है। उन्होंने कहा कि उर्दू मोहब्बत की जुबान है। विभाग के शिक्षक मो. अतिकुर रहमान, आरिशा तसनीम आदि ने भी अपनी उपलब्धि बताई। उर्दू विभाग की समीक्षा के दौरान कुलपति खुद उर्दू लफ्ज से ही अपनी बात शुरू की। कुलपति ने कहा कि सभी लैंग्वेज विभागों की एक अलग मीटिंग बुलाई जाएगी। ताकि लैंग्वेज को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस रोडमैप बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोई भी रास्ते कठिन नहीं होते हैं। उस पर चलना सीखें। मंजिल और सफलता जरूर मिलेगी। कुलपति प्रो. गुप्ता ने कहा कि शिक्षकों की एकेडमिक उपलब्धि विश्वविद्यालय की भी उपलब्धि है। बैठक का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार डॉ निरंजन प्रसाद यादव ने किया। यह जानकारी पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर ने दी।

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Editor - Bijay shankar

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