ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम के अन्तर्गत पोड़ैयाहाट प्रखंड के ग्राम कमराबांध के प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की वैज्ञानिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने बताया कि मूंगफली वस्तुतः पोषक तत्त्वों की अप्रतिम खान है। प्रकृति ने भरपूर मात्रा में इसे विभिन्न पोषक तत्त्वों से सजाया-सँवारा है। मूंगफली वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अण्डों से 2.5 गुना एवं फलों से 8 गुना अधिक होती है। और इसमें 45% वसा (फैट) होता है। उद्यान वैज्ञानिकडॉ0 हेमन्त कुमार चौरसिया ने किसानों को मूंगफली के बीज का उपचार बाविस्टीन से करके दखाया गया। उन्होंने मूंगफली के 5 किग्रा. बीज में 10 ग्राम बाविस्टीन मिलाया तथा हल्का सा पानी छिड़क कर मिला दिया जिससे कि बाविस्टीन दवा बीज में आसानी से चिपक जाए। सस्य वैज्ञानिक डॉ0 अमितेश कुमार सिंह ने बताया कि मूंगफली की फसल की वृद्धि एवं विकास के लिए 30-35 डिग्री से.ग्रे. तापमान की आवश्यकता होती है।मूंगफली की अच्छी फसल के लिये 5 टन अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद प्रति हैक्टर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए। उर्वरक के रूप में 20:60:20 कि.ग्रा./है. नाइट्रोजन फॉस्फोरस व पोटाश का प्रयोग आधार खाद के रूप में करना चाहिए। मूंगफली में गंधक का विशेष महत्व है अतः गंधक पूर्ति का सस्ता स्त्रोत जिप्सम है। जिप्सम की 250 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग बुवाई से पूर्व आखरी तैयारी के समय प्रयोग करें। प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज एवं मूंगफली की वैज्ञानिक खेती पुस्तिका उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ0 रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, रीता देवी, दुलारी देवी, करमी देवी, बबिता कुमारी, जीतन सिंह, सुरेश मिर्धा, रामेश्वर सिंह, सतन सिंह आदि महिला-पुरूष प्रगतिशील किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
Godda News: कमरा बांध के प्रगतिशील किसानों को दिया गया मूंगफली खेती का प्रशिक्षण
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम के अन्तर्गत पोड़ैयाहाट प्रखंड के ग्राम कमराबांध के प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की वैज्ञानिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने बताया कि मूंगफली वस्तुतः पोषक तत्त्वों की अप्रतिम खान है। प्रकृति ने भरपूर मात्रा में इसे विभिन्न पोषक तत्त्वों से सजाया-सँवारा है। मूंगफली वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अण्डों से 2.5 गुना एवं फलों से 8 गुना अधिक होती है। और इसमें 45% वसा (फैट) होता है। उद्यान वैज्ञानिकडॉ0 हेमन्त कुमार चौरसिया ने किसानों को मूंगफली के बीज का उपचार बाविस्टीन से करके दखाया गया। उन्होंने मूंगफली के 5 किग्रा. बीज में 10 ग्राम बाविस्टीन मिलाया तथा हल्का सा पानी छिड़क कर मिला दिया जिससे कि बाविस्टीन दवा बीज में आसानी से चिपक जाए। सस्य वैज्ञानिक डॉ0 अमितेश कुमार सिंह ने बताया कि मूंगफली की फसल की वृद्धि एवं विकास के लिए 30-35 डिग्री से.ग्रे. तापमान की आवश्यकता होती है।मूंगफली की अच्छी फसल के लिये 5 टन अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद प्रति हैक्टर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए। उर्वरक के रूप में 20:60:20 कि.ग्रा./है. नाइट्रोजन फॉस्फोरस व पोटाश का प्रयोग आधार खाद के रूप में करना चाहिए। मूंगफली में गंधक का विशेष महत्व है अतः गंधक पूर्ति का सस्ता स्त्रोत जिप्सम है। जिप्सम की 250 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग बुवाई से पूर्व आखरी तैयारी के समय प्रयोग करें। प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज एवं मूंगफली की वैज्ञानिक खेती पुस्तिका उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ0 रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, रीता देवी, दुलारी देवी, करमी देवी, बबिता कुमारी, जीतन सिंह, सुरेश मिर्धा, रामेश्वर सिंह, सतन सिंह आदि महिला-पुरूष प्रगतिशील किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
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