Rewari News : निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा

हरियाणा प्रदेश में काफी बच्चे निजी स्कूलों के माध्यम से शिक्षा ले रहे हैं जिन पर राज्य सरकार व केंद्र सरकार के कानून लागू होते हैं परंतु प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा नियमों की लगातार अवहेलना की जा रही है और अभिभावकों और बच्चों को अमान्य मदो की फीस के नाम पर प्रताड़ित  किया जा रहा है व बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जो निम्न प्रकार से है.



1 महोदय हरियाणा प्रदेश के निजी स्कूल एक माफिया की तरह व्यापार कर रहे हैं निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों व बच्चों पर दबाव बनाकर लॉकडाउन के दौरान कि देय फीस को जबरन वसूला जा रहा है इसके लिए बच्चों को कक्षा के पेपर व  प्री बोर्ड परीक्षा देने से रोक कर बच्चों को सरेआम बेइज्जत  कर बच्चों का भविष्य खराब करने की धमकी देकर फीस देने में असमर्थ अभिभावकों से जबरन फीस वसूल की जा रही है

2 निजी स्कूल अमान्य मदों के नाम से फीस की वसूली करके या अभिभावकों पर दबाव बनाकर फीस की वसूली कर रहे हैं जैसे वार्षिक चार्ज कंप्यूटर क्लास चार्ज, साइंस लैब चार्ज रिएडमिशन चार्ज, कैपिटेशन फीस, बिल्डिंग फंड, जैसे अनेक अमान्य मद हैं जिनके नाम से निजी स्कूल फीस वसूल कर रहे हैं

3 निजी स्कूलों में एक बच्चे का एक कक्षा में दाखिला होने के बाद अगले वर्ष अगली कक्षा में प्रमोट होने पर दोबारा उस बच्चे से रिएडमिशन चार्ज लिया जाता है व अन्य नाम से फीस वसूल की जा रही है जबकि सिर्फ ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य चार्ज नहीं लिया जा सकता

4 निजी स्कूलों से परेशान बच्चे राजकीय स्कूलों में जाना चाहते हैं तो निजी स्कूल बच्चे की एस एल सी  देने से मना कर देते हैं जिस कारण वे बच्चे राजकीय स्कूल व अन्य स्कूलों में शिक्षा से वंचित रह जाते हैं यहां तक कि बच्चों की लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण नहीं कि उन बच्चों से भी जबरन फीस वसूली का दबाव बनाया जा रहा है जो कि उच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है

5 निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लगाई जा रही हैं और ये  पुस्तकें वे होती है जो कि मार्केट में उपलब्ध नहीं की जाती जो कि सिर्फ स्कूलों में ही उपलब्ध होती है और इन पुस्तकों की कीमत कई गुना ज्यादा होती है जो लगभग 6000 से 8000 तक की कीमत होती है जबकि एनसीईआरटी की किताबें ₹500 से छ सौ से अधिक नहीं होती है
जबकि सिर्फ एनसीईआरटी की किताबों का प्रावधान होना चाहिए समान शिक्षा का अधिकार हो  इस बाबत ना तो जिला शिक्षा अधिकारी ना ही अन्य प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्यवाही करते हैं

7 निजी स्कूलों द्वारा वाहनों पर भी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है स्कूल वाहनों पर जो चालक है वे बिना लाइसेंस के स्कूल वाहनों को धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ा रहे हैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद भी प्रदेश के निजी स्कूल अभिभावकों व  बच्चों द्वारा फीस न  देने के कारण बच्चों को एग्जाम में नहीं बैठने दे रहे हो और बच्चो को शिक्षा से वंचित करके स्कूल से  नाम काटे देते हैं और नाम काटने के उपरांत एस एल सी भी नहीं देते है जिस कारण पीड़ित बच्चे किसी अन्य स्कूलों में भी शिक्षा लेने नहीं जा सकते हैं राज्य सरकार से अनुरोध है कि उपरोक्त बिंदुओं की समस्या बारे निजी स्कूलों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए निजी स्कूलों पर निगरानी रखने हेतु एक कमेटी का गठन किया जाए नियमों की अवहेलना करने वाले निजी स्कूलों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाय, नियम नही मानने वाले स्कूलों को सरकार टेक ओवर करके स्वयं स्कूलो को चलाये आज अधिवक्ताओं ने मिलकर  निर्णय लिया कि निजी स्कूलों की मनमानी से पीड़ित जो भी बच्चे या अभिभावक उनके पास आएंगे   वह उनकी निःशुल्क सहायता करेंगे, निःशुल्क सहायता हेतु निम्न से सम्पर्क किया जा सकता है कैलाश चंद एड्वोकेट, अश्वनी तिवारी, रजवंत डहीनवाल, विजय यादव, मोहित यादव, भूपेश शर्मा, भपेंद्र शर्मा, हितेश्वर, जितेंद्र सिंह, चरण सिंह, हरेंद्र यादव व अन्य अधिवक्ता  जिनसे सम्पर्क किया का सकता है
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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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