Bhagalpur News:भागलपुर में खनन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से 9.45 करोड़ रुपये का घोटाला, माइनिंग चालान के बिना 270 रैक पत्थरों को भेजा गया बाहर

शिकायतकर्त्ता

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ग्राम समाचार, भागलपुर। पूरे विश्व में सिल्क सिटी के नाम से पहचान रखने वाला शहर भागलपुर इन दिनों घोटालों के कारण चर्चा में है। बहुचर्चित सृजन घोटाला से भागलपुर सुर्खियों में आया था। फिलहाल सृजन घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। अभी इसकी जांच पूरी भी नहीं हुई है। इसी बीच भागलपुर में एक नया घोटाला सामने आया है। भागलपुर के माइनिंग विभाग के लिपिक और अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपया का घोटाला होने का मामला सामने आया है। इस बाबत शिकायतकर्त्ता की शिकायत पर पटना से जांच टीम भी आ चुकी है। फिलहाल टीम जांच में लग गई है। जिले में खनन विभाग की मिलीभगत से 270 रैक पत्थरों के बिना माइनिंग चालान ही ढोने का मामला आया है। दिलचस्प बात तो यह है कि जिले में पत्थर का खनन‌ न होने के बावजूद पीरपैंती रेलवे स्टेशन से पत्थरों को अवैध तरीके से रेल से बाहर भेजा गया। पूर्व खनन पदाधिकारी प्रणव कुमार प्रभाकर और विभाग के क्लर्क कुणाल किशोर व प्रांजल तिवारी की मिलीभगत से किसी भी रैक के लिए माइनिंग चालान नहीं कटा। ये आरोप बुद्धू चक थाना क्षेत्र के बुद्धू चक मोहनपुर निवासी सुशील राय ने लगाया। उन्होंने विभाग के प्रधान सचिव से इसकी शिकायत की है। इस पर संज्ञान लेकर मुख्यालय ने पटना से दो डिप्टी डायरेक्टर मनोज अंबष्ट और सुरेंद्र सिन्हा को जांच के लिए भागलपुर भेज दिया है। दोनों अफसरों ने जिला खनन पदाधिकारी व विभागीय अन्य कर्मियों से मामले में जानकारी ली। विभागीय दस्तावेज भी खंगाले। हालांकि इससे पहले ही खनन पदाधिकारी प्रणव कुमार प्रभाकर व क्लर्क कुणाल किशोर और प्रांजल तिवारी का तबादला हो चुका है। इधर, शिकायतकर्ता ने हत्या की आशंका पर कोर्ट में सनहा भी दर्ज करवाया है। आवेदक सुशील राय ने शिकायत में कहा है कि रेल रैक से अगस्त 2015 से जुलाई 2020 तक बिना माइनिंग परिवहन के सभी रैक बाहर भेजे गए। उन्होंने आरटीआई से हासिल जानकारी भी संलग्न की है। खनन पदाधिकारी की दी गई सूचना में बताया गया कि 2017-18 में मेसर्स सीटीएस इंडस्ट्रीज को परिवहन चालान नहीं दिया गया। अब तक हुए इस अवैध कारोबार में 9.45 करोड़ का घपला हुआ। इसके बाद भी कंपनी का लाइसेंस हर साल रेन्यू किया गया। स्टॉकिस्ट लाइसेंस का मकसद आम लोगों को लघु खनिज आपूर्ति करना है, लेकिन पीरपैंती में कंपनी ने किसी आम आदमी को पत्थर नहीं बेचा। कंपनी एक ही नाम से एक किलोमीटर के दायरे में 4 लाइसेंस लेती है। शिकायतकर्ता सुशील राय ने कहा है कि सीटीएस इंडस्ट्रीज के लिए क्लर्क कुणाल किशोर काम करते हैं। इंडस्ट्रीज की फाइल में भरे जाने वाले फॉर्म या आवेदन कुणाल खुद अपने हाथ से भरते हैं। इसकी जानकारी तत्कालीन खनन पदाधिकारी प्रणव कुमार प्रभाकर को भी थी। लेकिन उन्होंने रेलवे को एक पत्र देने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने खनन पदाधिकारी प्रणव कुमार प्रभाकर, क्लर्क कुणाल किशोर और प्रांजल तिवारी पर मोटी रकम लेने का आरोप भी लगाया है। साथ ही अंधेरी नदी में बालू न होने के बाद भी गलत तरीके से घाटों की बंदोबस्ती का आरोप है। उधर  दो सदस्यीय जांच टीम में शामिल डिप्टी डायरेक्टर मनोज अम्बष्ट और सुरेन्द्र सिन्हा ने तीन दिनों से कार्यालय में दस्तावेज खंगालने के साथ कर्मचारियों से पूछताछ एवं पीरपैंती में स्पॉट वेरिफिकेशन किया है। इधर मामले के शिकायतकर्ता सुशील राय को खुलासे के बाद धमकी मिलनी शुरू हो गई है। जिसके बाद हत्या की आशंका जाहिर करते हुए उन्होंने कोर्ट में सनहा दर्ज कराया है। जांच के लिए पहुंची विभाग की दो सदस्यीय टीम कागजात खंगालने के साथ कर्मचारियों से पूछताछ के साथ ही स्पॉट वेरिफिकेशन भी कर रही है। जांच के लिए पहुंची डिप्टी डायरेक्टर मनोज अम्बष्ट ने साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की बात कही और जांच के गोपनीय होने की बात कही। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जांच के दायरे में साक्ष्य के आधार पर जो भी आयेंगे, बख्शे नहीं जायेंगे। दोनों अधिकारी जांच के बाद अपनी जांच रिपोर्ट विभाग के प्रधान सचिव को सौपेंगे, जिसके बाद पूर्व खनन पदाधिकारी समेत दोनों आरोपी क्लर्कों पर कार्रवाई सम्भव हो पायेगी। मामले के रहस्योद्घाटन के बाद खनन विभाग के कार्यालय की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। मिली जानकारी के अनुसार, जांच टीम को कार्यालय में कागजात नहीं मिले हैं. साथ ही फर्जी चालान से लेकर फर्जी अधिकारियों के हस्ताक्षर करने की भी बात सामने आ रही है। इतना ही नहीं ओवरलोडेड गाड़ियों के नाम पर भी माफियाओं से मिलकर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आ रहा है। इस पूरे मामले में एक बड़े रैकेट के बिहार के कई जिले से लेकर झारखंड और पश्चिम बंगाल तक काम करने की बात सामने आई है। खनन विभाग में जिस तरह पांच सालों के दौरान साढ़े नौ करोड़ रुपये के घोटाले के साथ फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। अगर इसकी निष्पक्ष जांच की गई तो बड़े चौकाने वाले तथ्यों के साथ कई सफेद कॉलर लोगों के चेहरे सामने आने की बात कही जा रही है।



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Editor - Bijay shankar

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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