कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने पैरामिलिट्री जवानों व उनके लाखों परिवारों के भलाई संबंधित जायज़ मुद्दों को लेकर भूपेन्द्र मल्होत्रा डिप्टी सेक्रेटरी अर्धसेैनिक कल्याण विभाग, पंचकूला से बैठक कर विस्तार से चर्चा कर समाधान हेतु ज्ञापन सौंपा गया।
महासचिव रणबीर सिंह ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 5-6 सालों से तकरीबन जिलों में शांतिपूर्ण तरीके से धरने प्रदर्शन कर संबंधित जिला उपायुक्तों के माध्यम से बराबर राज्य सरकार का ध्यान दिलाने की भरपूर कोशिश की गई। लेकिन जब उपरोक्त कल्याण बोर्ड में हमारे अर्ध-सैनिक बलों के जवान, उनके परिवारों के सदस्य, विधवाएं विरांगनाएं अपनी फरियाद या भलाई संबंधित मसलें लेकर जाएं तो वहां बोर्ड में बैठे कर्नल कैप्टन या सुबेदार का एक ही रटा रटाया ज़बाब होता है कि यहां सिर्फ सेना के जवानों के मामले सुने व निपटाएं जाते हैं। तो फिर हम फरियाद के लिए जाएं कहां ? इस बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी व श्री ओमप्रकाश यादव सैनिक कल्याण मंत्री जी से भी मिल कर भी कई बार गुहार लगाई गई लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला। सेना के साथ अर्धसेना की नामपट्टी लगा दी गई। हम चाहेंगे कि उपरोक्त कल्याण बोर्ड में हमारे सेवानिवृत हवलदारों सुबेदारों को भी सम्माहित किया जाए व अलग से पैरामिलिट्री सैल बनाई जाए, अलग से रिकार्ड रखरखाव हेतु कार्यालय की व्यवस्था की जाए ताकि हमारे अर्धसेना के सेवारत, सेवानिवृत जवानों, शहीद परिवारों, विधवाओं, विरांगनाओं का लेखा जोखा तैयार किया जा सके। दुसरे ग्रह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी आफिस मैमोरेंडम दिनांक 23 नवंबर 2012 के आदेश को लागू किया जाए जिसमें सेना की तर्ज पर एक्समैन दर्जा(एक्स सीएपीएफ) देने हेतु कहा गया है ताकि हमारे सरहदी चौंकीदारों को भी रिटायरमेंट उपरांत राज्य सरकार की नीतियों व नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
तीन सदस्यीय टीम में शामिल ट्राई सिटी अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह यादव व सरदार हरजिंदर सिंह संयोजक चंडीगढ़ ने प्रदेश के शहीद जवानों की याद में "अर्धसेैनिक शहीद सम्मान स्मारक" बनाने की जरूरत जताई साथ ही रेवाड़ी, नारनौल भिवानी हिसार महेंद्रगढ़ झज्जर जिलों में सीजीएचएस डिस्पेंसरी खोलने की आवश्यकता जताई जहां कि बहुतायत संख्या में पैरामिलिट्री फोर्स के सेवारत एवं सेवानिवृत परिवार रहते हैं। बातचीत सौहार्दपुर्ण माहौल में सम्पन्न हुई। कई अहम बिंदुओं पर सहमति के आसार बने। उम्मीद कि आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देखने को मिले यही सच्ची श्रद्धांजली होगी गलवान घाटी लद्दाख व पुलवामा शहीदों को होगी।
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