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सैयद हसन |
ग्राम समाचार, भागलपुर। खानकाह-ए-पीर दमड़िया के नायब सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में दो ईदें है। एक ईद-उल-फितर और दूसरा ईद-उल-अजहा है। ईद-उल-अजहा के मुबारक मौके पर ही इस्लाम धर्म के मानने वाले हज जैसे अजीमुशान फ़र्ज़ की अदायगी के लिए शहर-ए-मक्का में जमा होते हैं। ईद-उल-अजहा में पूरी दुनिया के मुसलमान दो रेकत नमाज पढ़कर कुर्बानी करते हैं। यह कुर्बानी हजरत इब्राहिम और हजरत इस्माइल अलैह सलाम द्वारा दी गई कुर्बानी की याद में इमान वाले अल्लाह के हुजूर पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का मकसद त्याग और बलिदान का जज्बा पैदा करना है। अल्लाह के हुक्म के आगे गलत रास्तों को छोड़ कर नेकियों के रास्ते पर चलना है साथ ही हर बुराई, नफरत और जुल्म के रास्ते को छोड़ कर अदल व इंसाफ के लिए त्याग व बलिदान के रास्ते पर चलना है। इस खुशी के मौके पर रिश्तेदारों, दोस्तों और गरीब व असहाय लोगों को जरूर शामिल करना चाहिए। अंत में उन्होंने अपने संदेश में कहा कि यह त्योहार आपसी सौंदर्य और भाईचारा का पैगाम भी अपने साथ लाया है साथ ही साथ कोरोना महामारी को देखते हुए साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें और लॉक डाउन में केंद्र व बिहार सरकार द्वारा दिए नियमों का पालन करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश और वहां की जनता की तरक्की और उन्नति के लिए जरूरी है कि पूरे समाज के लोगों के अंदर त्याग और बलिदान का पूरा जज्बा मौजूद रहे। हमारा देश भी हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए त्याग और बलिदान के नतीजे में आज इस मुकाम पर खड़ा हुआ है, जिस पर हम गर्व करते हैं। आज भी जरूरत है कि हम हर समाज के लोग एकता अखंडता की मिशाल कायम कर देश के लिए तरक्की और उन्नति का हिस्सा बन सकें। उन्होंने इस मौके पर कहा कि खुशी के इस त्यौहार मनाने के मौके पर आपको पूरा ख्याल रखना चाहिए कि आपके किसी भी काम से किसी दूसरे व्यक्ति को कोई तकलीफ ना पहुंचे।
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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)
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