ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में ग्राम-घुटिया, प्रखंड- पथरगामा में प्रगतिशील किसानों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का विषय" केंचुआ खाद उत्पादन" तकनीक था। गृह वैज्ञानिक डाॅ0 प्रगतिका मिश्रा ने महिला किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंचुआ खाद पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैविक खाद है। जैविक खाद केंचुआ के द्वारा गोबर, वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके तैयार किया जाता है। केंचुआ खाद में बदबू नहीं होती है, मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। केंचुआ खाद डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5% से 3% नाइट्रोजन, 1.5% से 2% सल्फर तथा 1.5% से 2% पोटाश पाया जाता है। केंचुआ खाद के उपयोग से मृदा शक्ति को कुछ सीमा तक बढ़ाया जा सकता है। गोड्डा जिला के किसान सीमान्त तथा लघु श्रेणी में आते हैं, जो कि खेती करने के लिए उर्वरक/खाद खरीदने में असमर्थ होते हैं। ऐसी स्थिति में महिला किसान घर की बाड़ी में केंचुआ खाद का यूनिट स्थापित करके कुटीर उद्योग के रूप में भी अपना सकती हैं तथा मांग के आधार पर खाद की दुकानों में बेचकर अपनी आय में वृद्धि कर सकती हैं। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने वेस्ट डीकम्पोजर का घोल तैयार करने की विधि, कम्पोस्ट तैयार करने की विधि, जैविक कीटनाशी तैयार करने की विधि एवं प्रयोग करने के तरीके पर प्रकाश डाला। सभी महिला किसानों के बीच अमरूद का पौधा एवं 15 शीशी वेस्ट डीकम्पोजर वितरित किया गया। सविता मुर्मू, तालामय हांसदा, प्रेमलता किस्कू, जुली सोरेन समेत 25 महिला किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुईं।
Godda News: एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में ग्राम-घुटिया, प्रखंड- पथरगामा में प्रगतिशील किसानों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का विषय" केंचुआ खाद उत्पादन" तकनीक था। गृह वैज्ञानिक डाॅ0 प्रगतिका मिश्रा ने महिला किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंचुआ खाद पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैविक खाद है। जैविक खाद केंचुआ के द्वारा गोबर, वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके तैयार किया जाता है। केंचुआ खाद में बदबू नहीं होती है, मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। केंचुआ खाद डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5% से 3% नाइट्रोजन, 1.5% से 2% सल्फर तथा 1.5% से 2% पोटाश पाया जाता है। केंचुआ खाद के उपयोग से मृदा शक्ति को कुछ सीमा तक बढ़ाया जा सकता है। गोड्डा जिला के किसान सीमान्त तथा लघु श्रेणी में आते हैं, जो कि खेती करने के लिए उर्वरक/खाद खरीदने में असमर्थ होते हैं। ऐसी स्थिति में महिला किसान घर की बाड़ी में केंचुआ खाद का यूनिट स्थापित करके कुटीर उद्योग के रूप में भी अपना सकती हैं तथा मांग के आधार पर खाद की दुकानों में बेचकर अपनी आय में वृद्धि कर सकती हैं। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने वेस्ट डीकम्पोजर का घोल तैयार करने की विधि, कम्पोस्ट तैयार करने की विधि, जैविक कीटनाशी तैयार करने की विधि एवं प्रयोग करने के तरीके पर प्रकाश डाला। सभी महिला किसानों के बीच अमरूद का पौधा एवं 15 शीशी वेस्ट डीकम्पोजर वितरित किया गया। सविता मुर्मू, तालामय हांसदा, प्रेमलता किस्कू, जुली सोरेन समेत 25 महिला किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुईं।
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