ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
बिल्कुल जंगलराज है..... प्रतिदिन की समस्याओं से जूझते हुए कभी दुख और कभी सुख और कभी निराशा के क्षणों में कभी तनाव, कभी क्रोध के आवेश में हमारे मुख से यह शब्द निकल ही जाता है। आखिर यह जंगलराज है क्या? अराजकता का साम्राज्य पर, सबल का निर्बल के ऊपर विजय, समर्थ द्वारा लाचार का शोषण, धनवानों द्वारा गरीबों पर उत्पीड़न, उच्च का निम्न पर अत्याचार,
दुर्जन का सूजन पर आक्रमण, वाचाल का सरल पर चक्रव्यूह, ज्योति के ऊपर अंधकार का साया, जहां कानून नहीं, आवाज उठाने का साहस नहीं, याचक की सुनवाई नहीं, जहां लोकमत को प्रतिष्ठा नहीं, भ्रष्टाचार का आधिपत्य, शायद इन्हीं परिस्थितियों को देखकर जंगलराज की उपमा मुख से निकल जाती है। आज पूरा देश भ्रष्टाचार में लिप्त है। मंत्री से लेकर अफसर तक देश में कानून बाबासाहेब आंबेडकर का नहीं, देश के मंत्रियों एवं अफसरों का अपना कानून चलता है। हमारा बिहार जिसमें देश को पहला राष्ट्रपति दिया, हमारा बिहार जहां देश का पहला जनपद बना, हमारा बिहार जहां माता सीता का जन्म हुआ, हमारा बिहार जहां अमृत मंथन हुआ, हमारा बिहार जहां सबसे अधिक बच्चे देश की सबसे कठिन
परीक्षा आईएएस, आईपीएस, आईटीआई पास करते हैं। ऐसे बिहार की होनहार बिटिया आज सुरक्षित नहीं है। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। हर रोज बच्ची से लेकर महिलाओं का बलात्कार हो रहा है। हत्या हो रही है। जनता सुरक्षित नहीं है। माननीय मुख्यमंत्री ने जो लड़कियों को साइकिल दिया, मगर सुरक्षा नहीं। आज रोज निर्भया लूट रही है। आज रोज रूपम पाठक लूट रही है। उनकी हत्याएं हो रही हैं। मगर मंत्री लोग एक दूसरे के कटाक्ष
में लगे हुए हैं। कोई अच्छे नहीं हैं, सब में हजारों छेद है। क्या होगा हमारे देश, राज्य और समाज का। कितनी मुश्किल से आजादी मिली। इस परिस्थिति से ही यह प्रतीत होता है कि, यहां अब सिर्फ अपना कानून चलता है। जहां सिर्फ कानून चलता है, वह है सबलता। इस कानून के तहत वही जीता है, जो सबल है। विजयी उसी की है। जंगल में ताकतवर ही बचता है। निर्बल के लिए यहां कोई जगह नहीं। उल्लेखनीय है कि, अस्तित्व की लड़ाई में जो जीत जाए, वही जीवित रहे। यही है आज की राजनीति और यही है आज के राजनेता।
साभार:- वरिष्ठ समाजसेवी मदन मेहरा
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता, बौंसी।
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