-चार घण्टे बाद तीन अग्निशामक व भारी संख्या में ग्रामीणों के मदद से आग पर पाया गया काबू
ग्राम समाचार,भागलपुर।अकबरनगर थानाक्षेत्र के कशमाबाद दियारा में मंगलवार को धान उबालने के दौरान चिंगारी से आग लग गयी। तेज हवा व धूप ने देखते ही देखते करीब चार सौ से अधिक घरो यानी पूरे गांव को अपने चपेट में ले लिया। भीषण आग में कई जानवर की मरने की अनुमान है।जबकि चार सौ परिवार चंद मिनटों में घर से बेघर हो गए।
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को नारायणपुर प्रखण्ड के बैकुंठपुर दुधेला पंचायत के कसमाबाद गांव निवासी बीजो मंडल अपने फूस के घर में धान उबाला रहा था। कि अचानक हवा के तेज हो जाने से चिंगारी से प्लास्टिक में आग लग गई। प्लास्टिक के आग लगने से देखते ही देखते फूस के घर में आग लग गई। तेज हवा और दियारा इलाका होने के कारण एक घर से दूसरे घर में आग फैलते गया।साथ ही गांव के सभी घर फूस के है। आग के दौरान घर मे रखे पलंग से लेकर सभी अन्न जलकर नष्ट हो गए हैं।
लोगों ने अपने-अपने घरों से जहां तक संभव हो सका घर से बाहर निकाला। आग की खबर की सूचना मिलने पर अकबरनगर पुलिस सदलबल के साथ अग्निशामक वाहन को लेकर घटनास्थल पर पहुँचकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया। लोगों चापानल, पम्पिंग सेट,गंगा नदी सहित जिसको जो सुविधा मिली पानी लाकर बुझाने का प्रयास किया।
घटना के दौरान पूरे दियारा क्षेत्र में खलबली मच गई। आग के कारण सैकड़ो3 परिवार घर से बेघर हो गए। घटना के बाद नारायणपुर प्रखंड के सीओ बीडीओ घटनास्थल पर पहुँचकर राहत कार्य देने की तैयारी में जुटे हुए है।मुखिया अरबिंद मंडल ने बताया कि कसमाबाद में करीब साढ़े चार सौ घर जलने का पुष्टि की है।आग लगने से करोड़ो रूपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
अग्नि पीड़ितों को प्रशासन से मिला सिर्फ आश्वासन
वहीं दूसरी ओर प्रशासन की तरफ से अग्नि पीड़ितों को पदाधिकारियों द्वारा हरसंभव मदद करने की बात कही गई है लेकिन सूत्रों की मानें तो फिलहाल प्रशासनिक स्तर से अग्नि पीड़ितों को खाने व रहने के नाम पर सिर्फ सूखा चुरा व प्लास्टिक मुहैया कराया गया है।देर रात तक नवगछिया के एसडीपीओ दिलीप कुमार समेत कई पदाधिकारियों की आने की सूचना मिली है।
भीषण अग्निकांड के बाद गंगा किनारे अग्नि पीड़ितों ने लिया शरण
मंगलवार को हुए भीषण अग्निकाण्ड में लगभग चार सौ से अधिक घर जलकर राख हो गया।चन्द मिनटों में करीब चार सौ परिवार घर से बेघर हो गए।जिसके चलते सभी परिवार गंगा किनारे रात के ठंड में रात गुजारने को विवश हैं।वहीं बच्चे भूख से भी तड़प रहे हैं और माँ का रो रो कर बुरा हाल है।
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